आखिर क्यों मनाया जाता हैं छेरछेरा क्या हैं छेरछेरा मांगने की परंपरा एक क्लिक में जानें सबकुछ…

छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्यौहार बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. छेरछेरा त्यौहार नई फसल की होने की ख़ुशी में मनाई जाती है. इस त्यौहार के दिन सभी किसान भाइयो के घर में धान की नई फसल होने से धान की ढेरी लगी रहती है. सभी के घर धान की ढेरी लगी रहती है और बच्चे गाना गाते नाचते – बजाते घर – घर धान मांगते है . छेरछेरा त्यौहार हर साल पौष मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.




छेरछेरा त्यौहार के दिन अपनी देवी देवताओ की पूजा करने से घर की सुख समृधि बनी रहती है. छेरछेरा त्यौहार धान की फसल होने की ख़ुशी में मनाई जाती है.


छेरछेरा त्यौहार के दिन किस देवी की पूजन की जाती है?

छेरछेरा त्यौहार हर साल पौष मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. छेरछेरा का मतलब है की किसी को दान में रुपए और धान तथा चावल दान करना है छेरछेरा कहते है. छत्तीसगढ़ में हिन्दू धर्म में छेरछेरा त्यौहार बहुत ही उत्सव से मनाया जाता है. छेरछेरा त्यौहार के दिन शाकम्भारी देवी की पूजन विधि विधान से की जाती है. शाकम्भारी देवी की पूजन विधि विधान से करने के बाद धान मांगने जाते है. चाहे वह छोटा बच्चा हो या जवान या बुढा वह एक टोली बनाकर नाचते गाते छेरछेरा के दिन धान मांगने जाते है.

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