चारामा कांकेर की रहने वाली 20 वर्षीय छात्रा के परिजनों को इस बात का अहसास ही नहीं था कि उनकी जो बेटी चलकर अस्पताल में जा रही है, 12 घंटे बाद उसकी डेडबॉडी आएगी। पचपेड़ीनाका स्थित एक बड़े निजी अस्पताल में अनियमित पीरियड का इलाज कराने गई छात्रा की इलाज के दौरान मौत हो गई।मंगलवार को वीणा गजेंद्र को निजी अस्पताल लाया गया। उन्हें नियमित पीरियड नहीं आने की समस्या के बाद गायनेकोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया। उनके पिता पुरुषोत्तम गजेंद्र के अनुसार, उनकी बेटी 8 घंटे तक बेहोशी की हालत में रही। इस पर डॉक्टर कोई जवाब नहीं दे रहे थे। रात 9 बजे अचानक वीणा को मृत घोषित कर डॉक्टरों ने सभी को चौंका दिया।मृतक के पिता का कहना हैअस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने हमने अपनी बेटी को खो दिया। पुरुषोत्तम के अनुसार, जब बेटी को लाया गया, तब वह पूरी तरह स्वस्थ थी। डॉक्टरों ने भी 15 से 20 मिनट का प्रोसीजर बताया था। फिर बेटी कैसे 8 घंटे बेहोश रही, यह जांच का विषय है।परिजन इस घटना के बाद सदमे में है। अस्पताल प्रबंधन इस मामले में लीपापोती करने पर जुट गया है। गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार बिना लापरवाही किसी की मौत नहीं हो सकती।परिजन इस घटना के बाद है सदमे मेंपरिजनों के अनुसार वीणा के चेहरे पर सूजन भी आ गई थी। परिजनों ने पैसे दिए बिना डेडबॉडी रोकने का भी आरोप लगाया। जबकि अस्पताल प्रबंधन ने इससे इनकार करते हुए कहा कि केस को देखते हुए बिल काफी कम कर दिया गया। रात में डेडबॉडी ले जाने की अनुमति भी दे दी गई थी। परिजनों की मांग है कि मामले की जांच होनी चाहिए। आखिर किस तरह 20 साल की वीणा को डॉक्टरों ने मौत के मुंह में ढकेल दिया।
चारामा कांकेर की रहने वाली 20 वर्षीय छात्रा के परिजनों को इस बात का अहसास ही नहीं था कि उनकी जो बेटी चलकर अस्पताल में जा रही है, 12 घंटे बाद उसकी डेडबॉडी आएगी। पचपेड़ीनाका स्थित एक बड़े निजी अस्पताल में अनियमित पीरियड का इलाज कराने गई छात्रा की इलाज के दौरान मौत हो गई।
मंगलवार को वीणा गजेंद्र को निजी अस्पताल लाया गया। उन्हें नियमित पीरियड नहीं आने की समस्या के बाद गायनेकोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया। उनके पिता पुरुषोत्तम गजेंद्र के अनुसार, उनकी बेटी 8 घंटे तक बेहोशी की हालत में रही। इस पर डॉक्टर कोई जवाब नहीं दे रहे थे। रात 9 बजे अचानक वीणा को मृत घोषित कर डॉक्टरों ने सभी को चौंका दिया।
मृतक के पिता का कहना हैअस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने हमने अपनी बेटी को खो दिया। पुरुषोत्तम के अनुसार, जब बेटी को लाया गया, तब वह पूरी तरह स्वस्थ थी। डॉक्टरों ने भी 15 से 20 मिनट का प्रोसीजर बताया था। फिर बेटी कैसे 8 घंटे बेहोश रही, यह जांच का विषय है।
परिजन इस घटना के बाद सदमे में है।
अस्पताल प्रबंधन इस मामले में लीपापोती करने पर जुट गया है। गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार बिना लापरवाही किसी की मौत नहीं हो सकती।
परिजन इस घटना के बाद है सदमे में
परिजनों के अनुसार वीणा के चेहरे पर सूजन भी आ गई थी। परिजनों ने पैसे दिए बिना डेडबॉडी रोकने का भी आरोप लगाया। जबकि अस्पताल प्रबंधन ने इससे इनकार करते हुए कहा कि केस को देखते हुए बिल काफी कम कर दिया गया। रात में डेडबॉडी ले जाने की अनुमति भी दे दी गई थी। परिजनों की मांग है कि मामले की जांच होनी चाहिए। आखिर किस तरह 20 साल की वीणा को डॉक्टरों ने मौत के मुंह में ढकेल दिया।
Your email address will not be published. Required fields are marked *