भिलाई। नगर निगम भिलाई द्वारा बीते 9 जुलाई को पूरे निगम क्षेत्र में बृहद रूप से पौधारोपण की शुरुआत की गई थी। निगम के सभी 5 जोन छेत्र में विभिन्न प्रजातियों के फलदार और छायादार पौधे लगाए गए थे। इनमें से अधिकांश जगहों पर नगर निगम ने केवल गड्ढा खोदकर ही छोड़ दिया है। अधिकांश स्थानों में लगे पौधे सूख चुके हैं। पौधे लगाकर निगम द्वारा इसकी पर्याप्त देखरेख नहीं की गई। केवल पौधारोपण के दिन ही सारा तामझाम किया गया। यह नजारा है बैकुंठधाम तालाब परिसर का जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि पौधारोपण के लिए केवल गड्ढे ही खोदे गए हैं। कुछ ही जगहों पर पौधों को ट्री गार्ड से सुरक्षित किया है। बाकी पौधों को ऐसे ही उपेक्षित छोड़ दिया गया है। बैकुंठ धाम तालाब परिसर में पौधारोपण करने के स्थान पर शाम ढलते ही लोग मदिरापान करते हैं जिसके अवशेष यहां स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। 9 जुलाई को पौधारोपण के दौरान महापौर नीरज पाल द्वारा निगम अधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा गया था कि पौधों के पेड़ बनते तक उनके पर्याप्त देखरेख की जाए लेकिन ऐसा होता कहीं पर भी नजर नहीं आ रहा है। पौधारोपण के नाम पर नगर निगम प्रशासन द्वारा केवल खानापूर्ति ही की गई है। इस दृश्य को देखकर यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। पौधारोपण के दौरान खाद और काली मिट्टी डाली भी गई कि नहीं इसे लेकर भी असमंजस बना हुआ है। हर वर्ष पौधारोपण के दौरान ऐसी स्थिति देखने को मिलती है। पौधे पेड़ में बदलने के पूर्व ही अपना अस्तित्व खो चुके होते हैं।
भिलाई। नगर निगम भिलाई द्वारा बीते 9 जुलाई को पूरे निगम क्षेत्र में बृहद रूप से पौधारोपण की शुरुआत की गई थी। निगम के सभी 5 जोन छेत्र में विभिन्न प्रजातियों के फलदार और छायादार पौधे लगाए गए थे। इनमें से अधिकांश जगहों पर नगर निगम ने केवल गड्ढा खोदकर ही छोड़ दिया है।
अधिकांश स्थानों में लगे पौधे सूख चुके हैं। पौधे लगाकर निगम द्वारा इसकी पर्याप्त देखरेख नहीं की गई। केवल पौधारोपण के दिन ही सारा तामझाम किया गया। यह नजारा है बैकुंठधाम तालाब परिसर का जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि पौधारोपण के लिए केवल गड्ढे ही खोदे गए हैं।
कुछ ही जगहों पर पौधों को ट्री गार्ड से सुरक्षित किया है। बाकी पौधों को ऐसे ही उपेक्षित छोड़ दिया गया है। बैकुंठ धाम तालाब परिसर में पौधारोपण करने के स्थान पर शाम ढलते ही लोग मदिरापान करते हैं जिसके अवशेष यहां स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।
9 जुलाई को पौधारोपण के दौरान महापौर नीरज पाल द्वारा निगम अधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा गया था कि पौधों के पेड़ बनते तक उनके पर्याप्त देखरेख की जाए लेकिन ऐसा होता कहीं पर भी नजर नहीं आ रहा है। पौधारोपण के नाम पर नगर निगम प्रशासन द्वारा केवल खानापूर्ति ही की गई है। इस दृश्य को देखकर यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।
पौधारोपण के दौरान खाद और काली मिट्टी डाली भी गई कि नहीं इसे लेकर भी असमंजस बना हुआ है। हर वर्ष पौधारोपण के दौरान ऐसी स्थिति देखने को मिलती है। पौधे पेड़ में बदलने के पूर्व ही अपना अस्तित्व खो चुके होते हैं।
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