तमाम सुविधा और कोचिंग से लेकर बेहतर मार्गदर्शन के बाद भी बहुत से छात्र नीट जैसी परीक्षा क्वालिफाई करने से चूक जाते हैं.कई बार परीक्षा देने के बाद भी बहुतों के नसीब में डाॅक्टर बनना नहीं होता.मगर अभाव तले जाने वाले हर चुनौती का समना करते हुए अपने लिए रास्ता बना ही लेते हैं.जी हां, ऐसी ही एक बेटी है दुर्ग की यमुना चक्रधारी, जिसने बिना कोचिंग के ही नीट परीक्षा क्वालिफाई करने में कामयाबी हासिल की है.हैरानी की बात तो ये है कि यमुना परिवार का हाथ बटाने के लिए ईंट भट्ठे में भी काम किया करती थी.वही भिलाई स्थित स्पर्श मल्टीस्पेशलिस्ट अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा यमुना के सम्मान के लिए कार्यक्रम रखा गया,कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा सांसद विजय बघेल पहुंचे और यमुना और परिवार को सम्मानित किया।दुर्ग जिले के एक छोटे से ग्राम डूमरडीह की यमुना चक्रधारी ने ईट बनाकर नीट का सफर तय किया है, यमुना दिन में ईंट बनाने के बाद घर पर सेल्फ स्टडी करती थी.नीट में 720 में 516 नंबर आए हैं.ऑल इंडिया रैंकिंग 93683 और ओबीसी में 42684 रैंक है.जिस तरह से गर्म भट्ठे में तपकर एक एक ईंट तैयार होता है, उसी तरह यमुना के इरादे भी दिन ब दिन फैलाद की तरह मजबूत होते गए.भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी, लेकिन पढ़ाई कर मुकाम हासिल करने के उसके जो इरादे चट्टान की तरह मजबूत थे.नतीजा ये रहा कि उसने नीट क्वालीफाई कर न सिर्फ दुर्ग जिला बल्कि प्रदेश का मान बढ़ाया है.यमुना चक्रधारी आईएनएच न्यूज़ से खास बातचीत की कहां की उनके पिता का छोटे से ईंट भट्ठे का काम है. परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है, इसलिए पूरे परिवार को इस ईंट भट्ठे में काम करना पड़ता है. रोजाना 5 से 6 घंटे के काम के बाद पढ़ाई के लिए भीसमय निकलती थी. सेल्फ स्टडी के भरोसे ही चार बार के बाद आखिरकार कामयाबी हासिल हुई है. अब एमबीबीएस पूरा करने के बाद एमडी या एमएस के लिए ट्राई करना अगला लक्ष्य होगा.यमुना का डॉक्टर बनने का सपना था, लेकिन आर्थिक संकट ठीक नहीं थी.ऐसे में नीट क्वालिफाई कर भी लेती तो फीस और अन्य खर्चे नहीं दे पाती.ऐसे में उतई के डॉक्टर अश्वनी चंद्राकार ने यमुना का कोचिंग में एडमिशन कराया.लेकिन कोरोना के चलते कोचिंग नहीं जा पाई।चौथी बार में नीट क्वालिफाई करने वाली यमुना की मदद के लिए भिलाई स्थित स्पर्श मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा हाथ बढ़ाया है। अस्पताल के द्वारा आज सम्मान का कार्यक्रम अस्पताल में रखा गया, इसमें मुख्य अतिथि के रूप में दुर्ग सांसद विजय बघेल पहुंचे और उन्होंने परिवार और नीट में टॉप की यमुना को सम्मानित किया,वहीं सांसद विजय बघेल का कहना है कि एक छोटे से गांव की बिटिया जो अपने माता-पिता के साथ ईट बनाने का काम करती थी आज नीट क्वालीफाई कर गई, यह हमारी और हमारे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है, अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर दीपक वर्मा का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा बच्ची का हर प्रकार की मदद की जाएगी।
तमाम सुविधा और कोचिंग से लेकर बेहतर मार्गदर्शन के बाद भी बहुत से छात्र नीट जैसी परीक्षा क्वालिफाई करने से चूक जाते हैं.कई बार परीक्षा देने के बाद भी बहुतों के नसीब में डाॅक्टर बनना नहीं होता.मगर अभाव तले जाने वाले हर चुनौती का समना करते हुए अपने लिए रास्ता बना ही लेते हैं.जी हां, ऐसी ही एक बेटी है दुर्ग की यमुना चक्रधारी, जिसने बिना कोचिंग के ही नीट परीक्षा क्वालिफाई करने में कामयाबी हासिल की है.हैरानी की बात तो ये है कि यमुना परिवार का हाथ बटाने के लिए ईंट भट्ठे में भी काम किया करती थी.वही भिलाई स्थित स्पर्श मल्टीस्पेशलिस्ट अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा यमुना के सम्मान के लिए कार्यक्रम रखा गया,कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा सांसद विजय बघेल पहुंचे और यमुना और परिवार को सम्मानित किया।
दुर्ग जिले के एक छोटे से ग्राम डूमरडीह की यमुना चक्रधारी ने ईट बनाकर नीट का सफर तय किया है, यमुना दिन में ईंट बनाने के बाद घर पर सेल्फ स्टडी करती थी.नीट में 720 में 516 नंबर आए हैं.ऑल इंडिया रैंकिंग 93683 और ओबीसी में 42684 रैंक है.जिस तरह से गर्म भट्ठे में तपकर एक एक ईंट तैयार होता है, उसी तरह यमुना के इरादे भी दिन ब दिन फैलाद की तरह मजबूत होते गए.भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी, लेकिन पढ़ाई कर मुकाम हासिल करने के उसके जो इरादे चट्टान की तरह मजबूत थे.नतीजा ये रहा कि उसने नीट क्वालीफाई कर न सिर्फ दुर्ग जिला बल्कि प्रदेश का मान बढ़ाया है.यमुना चक्रधारी आईएनएच न्यूज़ से खास बातचीत की कहां की उनके पिता का छोटे से ईंट भट्ठे का काम है. परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है, इसलिए पूरे परिवार को इस ईंट भट्ठे में काम करना पड़ता है. रोजाना 5 से 6 घंटे के काम के बाद पढ़ाई के लिए भीसमय निकलती थी. सेल्फ स्टडी के भरोसे ही चार बार के बाद आखिरकार कामयाबी हासिल हुई है. अब एमबीबीएस पूरा करने के बाद एमडी या एमएस के लिए ट्राई करना अगला लक्ष्य होगा.यमुना का डॉक्टर बनने का सपना था, लेकिन आर्थिक संकट ठीक नहीं थी.ऐसे में नीट क्वालिफाई कर भी लेती तो फीस और अन्य खर्चे नहीं दे पाती.ऐसे में उतई के डॉक्टर अश्वनी चंद्राकार ने यमुना का कोचिंग में एडमिशन कराया.लेकिन कोरोना के चलते कोचिंग नहीं जा पाई।
चौथी बार में नीट क्वालिफाई करने वाली यमुना की मदद के लिए भिलाई स्थित स्पर्श मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा हाथ बढ़ाया है। अस्पताल के द्वारा आज सम्मान का कार्यक्रम अस्पताल में रखा गया, इसमें मुख्य अतिथि के रूप में दुर्ग सांसद विजय बघेल पहुंचे और उन्होंने परिवार और नीट में टॉप की यमुना को सम्मानित किया,वहीं सांसद विजय बघेल का कहना है कि एक छोटे से गांव की बिटिया जो अपने माता-पिता के साथ ईट बनाने का काम करती थी आज नीट क्वालीफाई कर गई, यह हमारी और हमारे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है, अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर दीपक वर्मा का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा बच्ची का हर प्रकार की मदद की जाएगी।
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