माइलस्टोन अकेडमी में ढाई साल के बच्चे ने किया सूर्य नमस्कार

भिलाई। माइलस्टोन अकेडमी में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। छोटे बच्चों के लिए आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में प्ले स्कूल से यूकेजी तक के बच्चों से भाग लिया। इस दौरान बच्चों ने वर्चुअल प्लेटफार्म पर सूर्य नमस्कार के सभी स्टेप्स करके दिखाए। शिक्षिकाओं के मार्गदर्शन में सभी बच्चों ने इसे बेहद आसानी से किया।

बता दें माइलस्टोन अकेडमी में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य फिजिकल एक्टीविटी भी कराई जाती हैं। इन दिनों छोटे बच्चों की कक्षाएं ऑनलाइन ही संचालित की जा रही हैं। इसे देखते हुए स्कूल प्रबंधन द्वारा समय-समय पर अलग तरह के एक्टीविटी द्वारा बच्चों के दिमाग से स्ट्रेस को कम करने का प्रयास किया जाता है। इसी कड़ी में माइलस्टोन अकेडमी द्वारा सूर्य नमस्कार का आयोजन किया गया।

वर्चुअल प्लेटफार्म पर आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने सूर्य नमस्कार के सभी 12 स्टेप्स पूरे किए। इस दौरान स्कूल की शिक्षिकाओं ने प्रणामासन, हस्तउत्तनासन, पादहस्तासन, अश्व संचालनासन, दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, पर्वत आसन , अश्व संचालनासन, हस्त पादआसन, हस्त उत्तानासन व प्रणाम मुद्राएं कराईं। बच्चों के साथ पालकों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।

सूर्य नमस्कार के 12 स्टेप्स से शरीर का संपूर्ण व्यायाम

माइलस्टोन अकेडमी की डायरेक्ट ममता शुक्ला ने बताया कि 10 अंगों की मदद से किए जाने वाले सूर्य नमस्कार में कुल 12 तरह के आसन होते हैं। इन आसनों से शरीर का संपूर्ण व्यायाम हो जाता है। यदि सूर्य नमस्कार के सभी 12 स्टेप्स फॉलो किए जाएं तो किसी भी तरह की अन्य एक्सरसाइज और योग की जरूरत नहीं पड़ती है। रोजाना नियम से सूर्य नमस्कार के बारहों स्टेप्स करने पर शरीर को अत्याधिक ऊर्जा मिलती है।

बच्चों को दिमागी रूप से मजबूत बनाने का लक्ष्य

डायरेक्टर ममता शुक्ला ने बताया कि माइलस्टोन अकेडमी द्वारा किए गए सूर्य नमस्कार के आयोजन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को दिमागी रूप से मजबूत करना है। इस कार्यक्रम में ढाई साल के बच्चों से लेकर पांच साल के बच्चों ने भाग लिया और सभी स्टेप्स को फॉलो किया। योग के माध्यम से बच्चों को मेंटली व फिजिकली मजबूत करने का एक प्रयास किया जा रहा है।

(TNS)


उन्होंने कहा कि इन बच्चों से यह कराना आसान नहीं था। हमारे शिक्षकों ने 10 दिन तक इन्हें प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के कारण वे अपने से इतना अच्छा कर सके। उन्होंने कहा कि बड़े बच्चे तो करते हैं लेकिन छोटे बच्चों के लिए यह महत्वपूर्ण रहा। इससे इनमें मेंटली व फिजिकल हेल्थ को लेकर एक सोच विकसित होगी।

Comments (0)

    Pls Add Data.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *