विरोध की जाजम पर जशपुर!

क्या आरएसएस दफ्तर में तैयार हुई थी विरोध की रणनीति?

विनय ठक्कर

जशपुर में कांग्रेस कार्यकर्ता जब मंच पर आपस में ही भिड़ रहे थे, तब इसे सिंहदेव और बघेल समर्थकों के आपसी टकराव के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन, इस विरोध-प्रदर्शन के पीछे आरएसएस की दूरगामी रणनीति भी सामने आ रही है! पार्टी में खुली उपेक्षा और आलाकमान के दरवाजे से बार-बार दरकिनार किए जा रहे सिंहदेव जी-23 के असंतुष्टों के बाद, क्या अब आरएसएस से भी मिल गए हैं? यह एक ऐसा सवाल है जो पिछले 24 घंटे से छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में बार-बार पूछा जा रहा है!


आरएसएस को किसने भेजे फ़ोटो/वीडियो?

दरअसल, जशपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सहित प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में हुए बवाल से कांग्रेस की अंदरूनी कलह भी खुलकर सामने आ गई है। मंच पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक आपस में भिड़ गए। लगभग 20 मिनट तक हंगामा हुआ। सम्मेलन के दौरान अपने अपने नेताओं के जिंदाबाद के नारे कार्यकर्ता लगाते रहे। बताया जा रहा है कि मौके पर मौजूद सिंहदेव समर्थक कुछ नेताओं ने हंगामे की जानकारी, फोटो और वीडियो तत्काल आरएसएस से जुड़े कुछ लोगों को भेज दिए। इस दौरान हुई बातचीत को मौके पर मौजूद कुछ नेताओं ने भी सुना है। इसी के बाद से यह चर्चा शुरू हो गई कि जानबूझकर हंगामा करवाना और नारेबाजी के बाद वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा करना, एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है।


पहले भी सामने आ चुकी है आरएसएस की भूमिका!

छत्तीसगढ़ में एक कांग्रेस विधायक हैं बृहस्पत सिंह। कुछ दिनों पूर्व इन्होंने दो सनसनीखेज टिप्पणियां की थीं! पहली - छत्तीसगढ़ में भाजपा देसी अंग्रेज है! दूसरी - आरएसएस कार्यकर्ता हमारे विधायकों को गलत रास्ता दिखा रहे हैं!

इसके बाद कांग्रेस की राजनीति और आंतरिक कलह में भाजपा और आरएसएस की भूमिका पर नए सिरे से, नए सवाल खड़े हुए थे। बृहस्पत सिंह ने खुले तौर पर कहा था कि संघ कार्यकर्ता मध्यप्रदेश में भी तोड़फोड़ का प्रयास कर चुके हैं और इसके चलते वहां पर सरकार गिर गई। बृहस्पत ने पंजाब में भी संघ कार्यकर्ताओं द्वारा ऐसा ही कुछ करने का आरोप लगाया था।


आरएसएस ने अपनाई डिवाइड एंड रूल पॉलिसी

छत्तीसगढ़ के संदर्भ में भी कुछ प्रामाणिक तर्कों के जरिए बृहस्पत सिंह ने यह भी कहा था कि संघ कार्यकर्ताओं ने डिवाइड एंड रूल पॉलिसी अपना ली है। अपनी बात को सबूतों के साथ स्पष्ट करते हुए उन्होंने यह भी कहा था कि पहले संघ कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया। इसके लिए लगातार बैठकें और रणनीति बनाई गई। जब उनकी कोशिशें नाकाम होने लगी तब वे टीएस सिंह देव को भड़काने में जुट गए।

Comments (0)

    Pls Add Data.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *