दंतेवाड़ा में 1 नवंबर को खुलेगी प्रदेश की पहली टैक्सटाइल प्रिटिंग फैक्ट्री...समर्पित नक्सली करेंगे काम

दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला अब रोजगार का गढ़ बनते जा रहा है। पहले यहां कभी हिंसा का हथियार थामे युवाओं ने आतंक फैलाए, अब वही सरेंडर कर रोजगार से जुड़ते जा रहे हैं। दरअसल, सरेंडर कर चुके नक्सली अब नक्सल पीड़ित परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर डैनेक्स टैक्सटाइल प्रिंटिंग फैक्ट्री चलाएंगे। यहां ये सब मिलकर ब्रांडेड कपड़ा कंपनियों के लिए कपड़ों पर प्रिंटिंग का काम करेंगे। यहां से प्रिंट हुए कपड़े व सिलाई के बाद विभिन्न माध्यमों से देशभर के बाजार में भेजे जाएंगे। यह फैक्ट्री कारली में बन रही शहीद महेंद्र कर्मा कॉलोनी (लोन वर्राटू हब) में खुलेगी। यह प्रदेश की पहली ऐसी फैक्ट्री होगी जिसका जिम्मा नक्सल पीड़ित परिवारों व सरेंडर नक्सलियों के हाथों होगा। यहां 100 लोगों को रोजगार मिलेगा। इसकी तैयारी चल रही है। एक नवंबर को राज्योत्सव के मौके पर इसका शुभारंभ कर दिया जाएगा। जिला प्रशासन व पुलिस विभाग तैयारियों में जुटा हुआ है।  

दरअसल जनवरी 2021 में सीएम भूपेश बघेल ने घोषणा की थी दंतेवाड़ा जिले में गारमेंट की 4 फैक्ट्रियां खुलेंगी। अब 10 महीने में चौथी फैक्ट्री खुल जाएगी। नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले को गारमेंट का हब बनाने युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। गारमेंट की 3 फैक्ट्री खुलकर यहां 800 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिल गया है। दरअसल दंतेवाड़ा पुलिस ने जून 2020 को लोन वर्राटू अभियान शुरू किया था। इसके बाद 445 से ज्यादा नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, जिन्हें रोजगार से जोड़ा जा रहा है।

कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि शहीद महेंद्र कर्मा कॉलोनी में डैनेक्स टैक्सटाइल प्रिंटिंग की पहली फैक्ट्री खुलेगी। यहां नक्सल पीड़ित परिवार के सदस्यों के साथ सरेंडर नक्सलियों को भी आवासीय व्यवस्था के साथ रोजगार मिलेगा। डैनेक्स की यह चौथी फैक्ट्री है। 3 फैक्ट्रियों में कपड़ों की सिलाई का काम हो रहा है। कारली में मशीनें लगवाने का काम एक-दो दिनों में शुरू हो जाएगा। एक नवंबर से ट्रेनिंग के साथ रोजगार देने की शुरुआत हो जाएगी। इस परिसर में 100 लोगों के रोजगार की व्यवस्था की जा रही है। यहां 20 शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के साथ टैक्सटाइल प्रिंटिंग फैक्ट्री भी होगी। जिससे ये सभी बेहतर आजीविका व बेहतर जीवन की ओर अग्रसर हो सकें।

इस तरह मिलेगा फायदा और आगे ये प्लान भी

- सरेंडर नक्सलियों और नक्सल पीड़ित परिवारों के बीच आपसी समन्वय स्थापित होगा।

- यह फैक्ट्री पुलिस लाइन कारली में है तो यहां इन्हें सुरक्षा को लेकर भी किसी तरह का खतरा नहीं।

- अभी सरेंडर महिला नक्सलियों की संख्या कम है, यहां रोजगार से जुड़े हुए देखकर और भी महिला नक्सली सरेंडर के लिए आगे आ सकती हैं।

- यहां की सफलता के बाद दंतेवाड़ा के अंदरूनी गांवों टेटम, पोटाली, चिकपाल जैसी जगह में भी इस तरह का काम शुरू होगा।

(TNS)

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