रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से हर माह प्रसारित होने वाली लोकवाणी की 21वीं कड़ीं में बात-चीत की शुरूआत जय जोहार के अभिवादन के साथ की। उन्होंने कहा कि आज का विषय जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह है। इसमें स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए समस्याओं को चिन्हित करना, उनके समाधान की तलाश करना, उन्हें लागू करना और जनता को राहत दिलाना है। इस कड़ी में सभी जिलों के समन्वित विकास के लिए स्थानीय जनता की सोच, इच्छा तथा अपेक्षा के अनुरूप काम करने में जिला प्रशासन को और अधिक सक्षम बनाया जा रहा है। इस तरह राज्य में प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त बनाते हुए विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कर नवा छत्तीसगढ़ को गढ़ा जा रहा है।मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि प्रशासनिक इकाई के रूप में जिलों को महत्व देते हुए हमने अल्प समय में ही 5 नये जिले बनाने की पहल की है। साथ ही जिला स्तर पर जनहितकारी योजनाएं, कार्यक्रम और अभियान संचालित करने की खुली छूट दी है, ताकि स्थानीय जनता की सोच, इच्छा और अपेक्षा के अनुरूप काम करने में जिला प्रशासन अधिक सक्षम हो सके। रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी में बताया गया कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के समन्वित विकास के लिए आमजनता की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुनने और स्थानीय जरूरत के हिसाब से कदम उठाने के लिए प्रशासन को फ्री-हेंड दिया गया है। मुख्यमंत्री बघेल ने आगे कहा कि आर्थिक तंगी और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से हमारे प्रदेशवासियों को किसी तरह की तकलीफ न हो, बल्कि उनकी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने छत्तीसगढ़ में अनेक नये-नये उपाए किए हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अब लघु धान्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ इन्हें बेहतर दाम तथा सुविधाएं देने की पहल की है। इसके लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की स्थापना की गई है और उत्पादन में वृद्धि तथा प्रसंस्करण के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई जा रही है। लघु धान्य फसलें पोषण की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती है लेकिन इन फसलों को अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। इन फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। हमने इसे ध्यान में रखते हुए आवश्यक पहल की है। उन्होंने कहा कि राज्य के बस्तर संभाग अंतर्गत दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर जिलों में कुछ लघु धान्य प्रसंस्करण इकाइयां शुरु भी हो चुकी हैं लेकिन अब बड़ी संख्या में ऐसी इकाइयां लगाई जाएंगी। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के विस्तार में इस बात का ध्यान रखा गया है कि जो किसान धान के बदले कोदो-कुटकी-रागी की फसल लेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की आदान सहायता दी जाएगी, जो फसल बेचने से होने वाली उनकी आय के अतिरिक्त होगी। मैंने विधानसभा में घोषणा की थी कि आदिवासी अंचलों में उपजाई जाने वाली कोदो-कुटकी और रागी फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हमने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल और रागी का समर्थन मूल्य 3 हजार 377 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया है। इनको खरीदने की व्यवस्था भी लघु वनोपज संघ के माध्यम से कर दी गई है।छत्तीसगढ़ में सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के सिलसिला में मैंने निर्देश दिए थे कि सड़क, सिंचाई, बिजली या ऐसी किसी भी अधोसंरचना की बड़ी परियोजनाओं को हाथ में लेने के साथ ही, इस बात पर ध्यान दिया जाए कि अधूरी पड़ी या किसी भी कारण से अनुपयोगी हो गई परियोजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया जाए, जिससे उस परियोजना में निवेश हो चुकी धनराशि का लाभ जनता को मिल सके। मुझे खुशी है कि दुर्ग जिले में इस सोच को साकार करने के लिए गंभीरता से पहल की गई। सिपकोना नहर के बारे में कहा जाता है कि यह नहर एशिया की सबसे लंबी नहरों में शामिल है। बताया गया कि वर्ष 2008 में इसे आधा-अधूरा छोड़ दिया गया। लाइनिंग, सफाई और मरम्मत पर ध्यान दिया जाता तो इस योजना में हुए निवेश का बहुत लाभ किसान भाई-बहनों को मिलता।मुझे खुशी है कि जिला प्रशासन ने पहल करके सिपकोना नहर को 22 की जगह 51 गांवों की जीवन-रेखा बनाने की दिशा में काम शुरू किया। इस तरह रणनीति अपनाने से पहले जहां सिर्फ 22 गांवों को पानी मिल पाता था, वहीं अब 51 गांवों में पहुंचेगा। बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड के 7 गांवों
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से हर माह प्रसारित होने वाली लोकवाणी की 21वीं कड़ीं में बात-चीत की शुरूआत जय जोहार के अभिवादन के साथ की। उन्होंने कहा कि आज का विषय जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह है। इसमें स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए समस्याओं को चिन्हित करना, उनके समाधान की तलाश करना, उन्हें लागू करना और जनता को राहत दिलाना है। इस कड़ी में सभी जिलों के समन्वित विकास के लिए स्थानीय जनता की सोच, इच्छा तथा अपेक्षा के अनुरूप काम करने में जिला प्रशासन को और अधिक सक्षम बनाया जा रहा है। इस तरह राज्य में प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त बनाते हुए विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कर नवा छत्तीसगढ़ को गढ़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि प्रशासनिक इकाई के रूप में जिलों को महत्व देते हुए हमने अल्प समय में ही 5 नये जिले बनाने की पहल की है। साथ ही जिला स्तर पर जनहितकारी योजनाएं, कार्यक्रम और अभियान संचालित करने की खुली छूट दी है, ताकि स्थानीय जनता की सोच, इच्छा और अपेक्षा के अनुरूप काम करने में जिला प्रशासन अधिक सक्षम हो सके। रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी में बताया गया कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के समन्वित विकास के लिए आमजनता की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुनने और स्थानीय जरूरत के हिसाब से कदम उठाने के लिए प्रशासन को फ्री-हेंड दिया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने आगे कहा कि आर्थिक तंगी और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से हमारे प्रदेशवासियों को किसी तरह की तकलीफ न हो, बल्कि उनकी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने छत्तीसगढ़ में अनेक नये-नये उपाए किए हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अब लघु धान्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ इन्हें बेहतर दाम तथा सुविधाएं देने की पहल की है। इसके लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की स्थापना की गई है और उत्पादन में वृद्धि तथा प्रसंस्करण के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई जा रही है। लघु धान्य फसलें पोषण की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती है लेकिन इन फसलों को अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। इन फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। हमने इसे ध्यान में रखते हुए आवश्यक पहल की है।
उन्होंने कहा कि राज्य के बस्तर संभाग अंतर्गत दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर जिलों में कुछ लघु धान्य प्रसंस्करण इकाइयां शुरु भी हो चुकी हैं लेकिन अब बड़ी संख्या में ऐसी इकाइयां लगाई जाएंगी। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के विस्तार में इस बात का ध्यान रखा गया है कि जो किसान धान के बदले कोदो-कुटकी-रागी की फसल लेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की आदान सहायता दी जाएगी, जो फसल बेचने से होने वाली उनकी आय के अतिरिक्त होगी। मैंने विधानसभा में घोषणा की थी कि आदिवासी अंचलों में उपजाई जाने वाली कोदो-कुटकी और रागी फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हमने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल और रागी का समर्थन मूल्य 3 हजार 377 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया है। इनको खरीदने की व्यवस्था भी लघु वनोपज संघ के माध्यम से कर दी गई है।
छत्तीसगढ़ में सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के सिलसिला में मैंने निर्देश दिए थे कि सड़क, सिंचाई, बिजली या ऐसी किसी भी अधोसंरचना की बड़ी परियोजनाओं को हाथ में लेने के साथ ही, इस बात पर ध्यान दिया जाए कि अधूरी पड़ी या किसी भी कारण से अनुपयोगी हो गई परियोजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया जाए, जिससे उस परियोजना में निवेश हो चुकी धनराशि का लाभ जनता को मिल सके। मुझे खुशी है कि दुर्ग जिले में इस सोच को साकार करने के लिए गंभीरता से पहल की गई। सिपकोना नहर के बारे में कहा जाता है कि यह नहर एशिया की सबसे लंबी नहरों में शामिल है। बताया गया कि वर्ष 2008 में इसे आधा-अधूरा छोड़ दिया गया। लाइनिंग, सफाई और मरम्मत पर ध्यान दिया जाता तो इस योजना में हुए निवेश का बहुत लाभ किसान भाई-बहनों को मिलता।
मुझे खुशी है कि जिला प्रशासन ने पहल करके सिपकोना नहर को 22 की जगह 51 गांवों की जीवन-रेखा बनाने की दिशा में काम शुरू किया। इस तरह रणनीति अपनाने से पहले जहां सिर्फ 22 गांवों को पानी मिल पाता था, वहीं अब 51 गांवों में पहुंचेगा। बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड के 7 गांवों
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