अतुल शर्माप्रदेश में बिक रही नकली कीटनाशक की वजह छत्तीसगढ़ के किसानों की दुर्दशा हो गई है और नकली कीटनाशक का खामियाजा मातरोडीह (मचांदूर ) किसान परिवार को भुगतना पड़ा। मातरोडीह की इस घटना से ना केवल पूरा गांव अपितु छत्तीसगढ़ के सभी किसान स्तब्ध है। गौरतलब है कि फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करने के बाद भी सुधार नहीं हुआ। किसी भी प्रकार से अपनी फसल बर्बाद ना हो इसके लिए लगभग 4 एकड़ की फसल पर मातरोडीह के किसान डुगेश कुमार निषाद ने तीन बार कीटनाशक का छिड़काव किया परंतु उसकी फसल बर्बाद हो गई। जिससे व्यथित होकर 4 अक्टूबर को खेत के पेड़ से फांसी लगाकर डुगेश कुमार निषाद ने आत्महत्या कर ली। फसल को बीमारी से बचाने एवं कीटनाशक खरीदने के लिए डुगेश कुमार निषाद ने गांव के लोगों से कर्जा भी लिया था। परंतु कीटनाशक नकली होने की वजह से उसकी फसल बर्बाद हो गई । आत्महत्या पूर्व वह बार-बार यही बोल रहा था। उसकी मेहनत बर्बाद हो गई आत्महत्या के पूर्व वह बहुत चिंता में था तथा उसने अपने घरवालों से भी फसल बर्बाद होने पर चिंता व्यक्त की थी। यहां अधिकतर किसान दुर्ग और उतई के कृषि केंद्र से ही दवा खरीदते हैं। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जो किसान हम इंसानों का पेट भरने के लिए दिन रात मेहनत करता है आज वह नकली दवाइयों , नकली कीटनाशक के भ्रष्टाचार की वजह से आत्महत्या का कदम उठाने में मजबूर हो रहा है। सरकारी विभाग के भ्रष्टाचार ने किसान को आत्महत्या करने में मजबूर हो गया। छत्तीसगढ़ के माननीय गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने मृतक परिवार के घर पहुंचकर संवेदना व्यक्त की एवं चार लाख का मुआवजा दिया। परंतु मेरा मानना है कि केवल चार लाख का मुआवजा उस किसान के भरे पूरे परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है । जिस भ्रष्टाचार की वजह से आज उस परिवार में अंधेरा छा गया भ्रष्टाचार का काल उस किसान परिवार को निगल गया। उस किसान को चार लाख की बजाय 20 लाख का मुआवजा दिया जाए तथा जिस बिक्री केंद्र से किसान ने कीटनाशक खरीदा था उसे तत्काल बंद किया जावे और उस कीटनाशक की गुणवत्ता की जांच करने के पश्चात संबंधित आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही किया जाए जिससे प्रदेश का और कोई भी किसान आत्महत्या को मजबूर ना हो। श्रीमती अनुपमा गोस्वामी ने वर्तमान सरकार को घेरते हुए कहा कि "खुद को किसानों की हितैषी कहने वाली सरकार के सारे चुनावी वादे खोखले नजर आ रहे हैं ।आज किसानों की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है ।किसान को ऋण लेकर काम करना पड़ता है फसल नहीं होती तो उसे तरह-तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं ,आर्थिक संकट की वजह से पूरा परिवार तकलीफ झेलता है।" जो अन्नदाता है आज उन्हें हर तरह की आपदाओं और भ्रष्टाचार से जूझना पड़ रहा है और ऐसे समय में सरकार केवल खोखला वादा किए जा रही है। अनुपमा गोस्वामी ने कहा की इस तरह के नकली कीटनाशक और दवाइयों के मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करना चाहिए।
अतुल शर्मा
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