औपचारिक बालकों का मानसिक दशा में सुधार लाने के लिए जिला प्रशासन योग के माध्यम से मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास।

आपचारी बालकों के लगातार बाल सम्प्रेक्षण गृह से भागने और उनकी अमानवीय हरकतों को देखते हुए। अब उनको मानसिक रूप से स्वस्थ करने की योजना शुरू की जा रही है, दुर्ग के बाल सम्प्रेक्षण गृह में किशोर न्याय योजना अधिनियम के तहत बाल सम्प्रेक्षण गृह में निवासरत बालकों की मानसिक दशा को सुधारने एवं उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।


18 साल के कम उम्र के बालको द्वारा जब भी कोई अपराध किया जाता है,तो उन्हें न्याय व्यवस्था के अनुरूप दंड देते हुए बाल सम्प्रेक्षण गृह में भेजा जाता है, जहां उन्हें अपने द्वारा किये गए अपराध का बोध कराकर उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ किया जाता है, लेकिन बाल सम्प्रेक्षण गृह में मोजूद कुछ पुराने आपचारी बालको की संगत में आकर कुछ बच्चे मुख्यधारा से भटक कर आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हो जाते है जिसका नुक़सान बच्चो के परिवार वालो को भुगतना पड़ता है। इसी कड़ी में दुर्ग कलेक्टर डॉक्टर सर्वेश्वर भुरे व एसपी प्रशांत ठाकुर के निर्देश पर साधना एवं योग शिक्षा शुरू की जा रही है यह साधना शिविर विपश्यना साधना केन्द्र थनौद के आचार्य के माध्यम से कराया जा रहा है। सम्प्रेक्षण गृह में रहने वाले आपचारी बालकों को उक्त साधना से गलत कार्यो में सुधार कर,मन परिवर्तन करते हुए समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उनके उज्जवल भविष्य के लिए हर संभव प्रयास भी किये जा रहें है। संस्थाओं में बार-बार अपराध कर आने वाले बच्चों की मन: स्थिति को देखते हुए उनके अपराध करने की सोच को सकारात्मक रुप से बदलने के लिए साधना के साथ-साथ ज्ञानवर्धक फिल्में भी दिखाई जा रही है। यह सप्ताह भर तक चलेगा 7 दिनों तक प्रतिदिन सुबह 9 बजे से होगा। कार्यक्रम में आचार्य द्वारा बच्चों को मन को एकाग्र करना,गलत कार्य नहीं करना,झूठ नहीं बोलना,बड़ों व छोटों का सम्मान करना आदि सिखाया जा रहे हैं।



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