दुर्ग । 23/06/2020-अगले तीन सालों के लिए रोडमैप बनाकर खेती की तस्वीर बदलने की दिशा में काम करें। किसानों को साल में तीन फसल लेने तैयार करें। दलहल-तिलहन के रकबे में बढ़ोत्तरी के साथ यांत्रिकीकरण की दिशा में काम हो। इसके साथ ही बायो फोर्टिफाइड राइस जैसे नवाचारों की ओर भी किसानों को शिफ्ट करें। कृषि उत्पादन आयुक्त डाॅ. एम. गीता ने आज अधिकारियों की समीक्षा बैठक में जिले में खेती किसानी की तरक्की के लिए इन तीन बिन्दुओं पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए कार्ययोजना बनाकर इनके कार्यान्वयन के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दुर्ग जिले में खेती-किसानी एवं इससे संबंधित अनुषांगिक विभागों के लिए बड़ी गुंजाइश है। रायपुर और दुर्ग-भिलाई के रूप में किसानों के लिए बड़ा मार्केट उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि गौठानों को भी ग्रामीण आजीविका केंद्र के रूप में विकसित करना है। इस दिशा में भी लगातार कार्य करें। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने विस्तार से जिले में चल रही कृषि गतिविधियों एवं नवाचारों की जानकारी दी। इस मौके पर संचालक कृषि नीलेश क्षीरसागर, संचालक उद्यानिकी वी. मथेश्वरन, संचालक मत्स्य वीके शुक्ला सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।सचिव ने वैविध्य पर विशेष फोकस किया। उन्होंने कहा कि तीन फसल लें। धान की किस्मों में भी वैविध्य ले सकते हैं। जैसे किसानों को बायो फोर्टिफाइड धान, सुगंधित धान तथा औषधि गुण वाले धान की किस्मों को लेने का आग्रह कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुपोषण दूर करने में बायो फोर्टिफाइड किस्म के धान की बड़ी भूमिका होती है। इसका बड़ा बाजार तैयार हो रहा है यदि हमारे यहां के किसानों को इस दिशा में तैयार करें तो उनके लिए लाभ की गुंजाइश काफी बढ़ सकती है।सचिव ने दलहन-तिलहन के रकबे के विस्तार के निर्देश भी दिए। कलेक्टर ने कहा कि इसके विस्तार के लिए लगभग साढ़े छह हजार हेक्टेयर में मेड़ों में दलहन फसल लगाने डीएमएफ के माध्यम से राशि उपलब्ध कराई गई है। सचिव ने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारी किसानों से मिलकर उन्हें इसके लाभों के बारे में जानकारी दें और परिणाममूलक कार्य करें ताकि दलहन-तिलहन के रकबे में बड़ी वृद्धि लक्षित हो। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के कई कंपोनेंट के माध्यम से इस दिशा में काम हो सकता है। Game on! Embrace the spirit of sportsmanship Prev Push your limits, redefine what's possible Next
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