पाटन नगर के लोगों को बुधवार को बड़ी सौगात मिली है। यह दिन पाटन के लिए इतिहास में दर्ज हो गया है। पिछले कई साल से यहां पर खारुन से पानी लाकर पाटन की जनता का प्यास बुझाने का जो सपना अधिकारी व जनप्रतिनिधि देख रहे थे वह आज पूरा हो गया। पीएचई द्वारा वृहद जल आवर्धन योजना के तहत पानी लाने का जो प्रयास किया गया वह सफल रहा। इसकी टेस्टिंग भी कर ली गई। खारुन नदी से पानी पाटन स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचते ही नगरवासियों, अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।बता दें कि पाटन नगर पंचायत के 15 वार्डों में पेयजल सप्लाई के लिए पांच किमी दूर खारुन नदी से पानी लाने का प्रस्ताव लाया गया। इसके लिए शासन द्वारा करीब 24 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थीयोजना के तहत नई टंकी का भी निर्माणपीएचई द्वारा जल आवर्धन योजना के तहत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी को टंकी में स्टोर किया जाएगा। यहां से पाइप लाइन के माध्यम से पूरे वार्डों में पानी सप्लाई की जाएगी। इसके लिए पुरानी टंकी का भी उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा दो नई टंकी का भी निर्माण करवाया गया है। वहीं पाइप लाइन भी नए सिरे से बिछाई गई है।। यह काम वर्ष 2017-18 में शुरू हुई, जो अब जाकर पूरी हो रही है।
पाटन नगर के लोगों को बुधवार को बड़ी सौगात मिली है। यह दिन पाटन के लिए इतिहास में दर्ज हो गया है। पिछले कई साल से यहां पर खारुन से पानी लाकर पाटन की जनता का प्यास बुझाने का जो सपना अधिकारी व जनप्रतिनिधि देख रहे थे वह आज पूरा हो गया। पीएचई द्वारा वृहद जल आवर्धन योजना के तहत पानी लाने का जो प्रयास किया गया वह सफल रहा। इसकी टेस्टिंग भी कर ली गई। खारुन नदी से पानी पाटन स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचते ही नगरवासियों, अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
बता दें कि पाटन नगर पंचायत के 15 वार्डों में पेयजल सप्लाई के लिए पांच किमी दूर खारुन नदी से पानी लाने का प्रस्ताव लाया गया। इसके लिए शासन द्वारा करीब 24 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थीयोजना के तहत नई टंकी का भी निर्माण
पीएचई द्वारा जल आवर्धन योजना के तहत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी को टंकी में स्टोर किया जाएगा। यहां से पाइप लाइन के माध्यम से पूरे वार्डों में पानी सप्लाई की जाएगी। इसके लिए पुरानी टंकी का भी उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा दो नई टंकी का भी निर्माण करवाया गया है। वहीं पाइप लाइन भी नए सिरे से बिछाई गई है।। यह काम वर्ष 2017-18 में शुरू हुई, जो अब जाकर पूरी हो रही है।
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