भिलाई इस्पात संयंत्र को अपने छेत्र में रखने हेतु रिसाली और भिलाई निगम के नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू, अपने हिसाब से कर रहे हैं नक्शा तैयार जिसमें कर रहे हैं दावा कि "कारखाना है हमारे छेत्र का हिस्सा"


अम्बरीश कुमार राय,

भिलाईनगर--रिसाली निगम बनते हीं भिलाई इस्पात संयंत्र पर अपना अधिकार जमाने भिलाई व रिसाली निगम के अधिकारियों के बीच जंग छिड़ गई है। भिलाई स्टील प्लांट आखिर किस निगम का हिस्सा बनेगा। भिलाई निगम में यथावत रहेगा या रिसाली निगम का हिस्सा बन जाएगा। छह माह तक यह सस्पेंस बना रहेगा। हालांकि दोनों निगम के नेता यह चाह रहे हैं कि भिलाई स्टील प्लांट उसके हिस्से में आ जाए।

हालांकि इसे लेकर भिलाई निगम या रिसाली निगम की तरफ से या नेताओं की तरफ से कोई अधिकृत बयान नहीं आया है। बस लोगों द्वारा कयास लगाया जा रहा है। इसकी वजह भिलाई स्टील प्लांट का एशिया भर में पहचान होना तथा बड़ा राजस्व मिलना है। दरअसल भिलाई स्टील प्लांट हर साल भिलाई नगर निगम को दो टुकड़ों में 14 करोड़ रुपये टैक्स देता है। इससे भिलाई निगम का दो महीने का खर्च चल जाता है।

भिलाई इस्पात संयंत्र हर साल देता है 14 करोड़

भिलाई स्टील प्लांट जुलाई व अगस्त महीने में सात करोड़ फिर वित्तीय वर्ष के अंत में याने मार्च महीने में सात करोड़ संपत्तिकर, समेकित कर तथा शिक्षा उपकर के रुप में देता है। हर साल 14 करोड़ टैक्स अकेले बीएसपी से आ जाता है। राहत इसलिए भी बड़ी हो जाती है क्योंकि भिलाई नगर निगम का हर महीने का खर्च दस करोड़ रुपये है। अगर बीएसपी रिसाली का हिस्सा बन गया तो भिलाई निगम को हर साल 14 करोड़ रुपये का नुकसान होगा

निगम द्वारा बीएसपी पर पांच अरब रुपया पेनाल्टी ठोका गया है जो अटक सकता है है

भिलाई निगम ने बीएसपी पर पांच अरब का पेनाल्टी ठोक रखा है। दरअसल भिलाई निगम का आरोप है कि बीएसपी अपनी प्रापर्टी की गलत जानकारी देकर कम टैक्स पटाता आ रहा है। इसलिए उस पर पांच अरब का पेनाल्टी लगाया गया है। मामला कोर्ट में लंबित है।

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