बस्तर.24/12/19शादी के बंधन को पवित्र बंधन माना जाता है. सात फेरे, निकाह पढ़ना जैसे कई अलग-अलग धर्मों के अपने अलग-अलग रीति-रिवाज होते हैं, लेकिन मतलब सबका एक ही होता है. वहीं शादी में लड़की के परिवार वाले दुल्हन को कई तोहफे देते हैं. अलग-अलग जगह अलग चीजें अदा करने की प्रथा है इसी कड़ी में हम आपको एक चौंकाने वाली प्रथा के बारे में बताने वाले हैं, जहां दुल्हन को दहेज में बड़ी ही अजीब चीज दी जाती है.छत्तीसगढ़ के बस्तर में दुल्हन को दहेज में बीयर दी जाती है. ये बीयर एक पेड़ से निकलने वाले रस से बनाई जाती है, जिस पेड का वैज्ञानिक नाम केरियोटा यूरेन्स है जिसे सल्फी भी कहते हैं. ये पेड़ मोहकारी के नाम से भी मशहूर है. इस पेड़ से जो रस निकलता है उसे बीयर के नाम से भी जाना जाता है. एक पेड़ करीब 20 लीटर मादक रस देने में सक्षम होता है. यह पेड़ बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत महत्व रखता है. यहां जब बेटियों की शादी आम बस्तरियों से की जाती है तो उन्हें दहेज में सल्फी का पेड़ दिया जाता है. स्थानीय लोग मानते हैं कि सल्फी का एक पेड़ एक एकड़ खेत के बराबर होता है. आज के समय में इन पेड़ों को ऑक्सीफोरम फिजिरियम नामक फंगस से बहुत नुकसान पहुंच रहा है. जिससे बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्ता पर भी असर पड़ रहा है. इन पेड़ों की संख्या कम होने की वजह से इनका महत्व और भी जरूरी बन चुका है. इसी वज़ह से यह लोग इस पेड़ को दहेज के रूप में अपनी बेटियों को देते हैं. वहीं जिन लोगों की लड़कियां नहीं होती, उनके भांजे को ये पेड़ दिया जाता है.
बस्तर.24/12/19
शादी के बंधन को पवित्र बंधन माना जाता है. सात फेरे, निकाह पढ़ना जैसे कई अलग-अलग धर्मों के अपने अलग-अलग रीति-रिवाज होते हैं, लेकिन मतलब सबका एक ही होता है. वहीं शादी में लड़की के परिवार वाले दुल्हन को कई तोहफे देते हैं. अलग-अलग जगह अलग चीजें अदा करने की प्रथा है इसी कड़ी में हम आपको एक चौंकाने वाली प्रथा के बारे में बताने वाले हैं, जहां दुल्हन को दहेज में बड़ी ही अजीब चीज दी जाती है.
छत्तीसगढ़ के बस्तर में दुल्हन को दहेज में बीयर दी जाती है. ये बीयर एक पेड़ से निकलने वाले रस से बनाई जाती है, जिस पेड का वैज्ञानिक नाम केरियोटा यूरेन्स है जिसे सल्फी भी कहते हैं. ये पेड़ मोहकारी के नाम से भी मशहूर है. इस पेड़ से जो रस निकलता है उसे बीयर के नाम से भी जाना जाता है. एक पेड़ करीब 20 लीटर मादक रस देने में सक्षम होता है. यह पेड़ बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत महत्व रखता है. यहां जब बेटियों की शादी आम बस्तरियों से की जाती है तो उन्हें दहेज में सल्फी का पेड़ दिया जाता है. स्थानीय लोग मानते हैं कि सल्फी का एक पेड़ एक एकड़ खेत के बराबर होता है. आज के समय में इन पेड़ों को ऑक्सीफोरम फिजिरियम नामक फंगस से बहुत नुकसान पहुंच रहा है. जिससे बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्ता पर भी असर पड़ रहा है. इन पेड़ों की संख्या कम होने की वजह से इनका महत्व और भी जरूरी बन चुका है. इसी वज़ह से यह लोग इस पेड़ को दहेज के रूप में अपनी बेटियों को देते हैं. वहीं जिन लोगों की लड़कियां नहीं होती, उनके भांजे को ये पेड़ दिया जाता है.
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