अम्बरीश कुमार राय,भिलाईनगर.23/12/19 - श्री 1008 पार्श्वनाथ जैन मंदिर में चल रहे आठ दिवसीय विधान के समापन पर बैंडबाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। इस अवसरपर संत व बंधुत्व की कामना के लिए जैन मंदिर नेहरूनगर में अनुष्ठान कराया गया।कार्यक्रम में शनिवार को सागर व श्रेयस सागर महाराज का मंगल पवेश नेहरूनगर जैन मंदिर में पाद प्रक्छालन के साथ हुआ। इस अवसर पर जुलूस बैंड बाजे के साथ सुसज्जित वस्त्रों में पुरुष एवं महिलाएं व बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित थे। शोभायात्रा में बच्चे, महिलाएं एवं पुस्र्ष लाल, हरे एवं पिले वस्त्रों में आकर्षक दिख रहे थे। अनुष्ठान छत्तीसगढ़ का सबसे पहला 13 कुण्डीय विधान है, जो पहले कभी नही हुआ। सकल दिगंबर जैन समाज के साथ अन्य समाज के लोगों को भी विशेष सहयोग रहा। मंच में तीन समवसरण की रचना अति मोहक व धर्मप्रभावना से परिपुरित थी। ऐसा पहली बार हुआ जिसमें श्रीजी की प्रतिमाएं तीन पालकियों में विशेष रूप से निकाली गई। यह पालिकी नगर का भ्रमण करके मंदिर में विराजमान हुई। इस अवसर सभी लोगो ने धर्मलाभ लिया व आत्मकल्याण का संकल्प लिया, दुखियों की सेवा करने की प्रतिज्ञा ली। इसके साथ ही नित्य अभिषेक,पूजा, करने की भावना प्रकट की।
अम्बरीश कुमार राय,
भिलाईनगर.23/12/19 - श्री 1008 पार्श्वनाथ जैन मंदिर में चल रहे आठ दिवसीय विधान के समापन पर बैंडबाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। इस अवसरपर संत व बंधुत्व की कामना के लिए जैन मंदिर नेहरूनगर में अनुष्ठान कराया गया।
कार्यक्रम में शनिवार को सागर व श्रेयस सागर महाराज का मंगल पवेश नेहरूनगर जैन मंदिर में पाद प्रक्छालन के साथ हुआ। इस अवसर पर जुलूस बैंड बाजे के साथ सुसज्जित वस्त्रों में पुरुष एवं महिलाएं व बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित थे। शोभायात्रा में बच्चे, महिलाएं एवं पुस्र्ष लाल, हरे एवं पिले वस्त्रों में आकर्षक दिख रहे थे। अनुष्ठान छत्तीसगढ़ का सबसे पहला 13 कुण्डीय विधान है, जो पहले कभी नही हुआ। सकल दिगंबर जैन समाज के साथ अन्य समाज के लोगों को भी विशेष सहयोग रहा। मंच में तीन समवसरण की रचना अति मोहक व धर्मप्रभावना से परिपुरित थी। ऐसा पहली बार हुआ जिसमें श्रीजी की प्रतिमाएं तीन पालकियों में विशेष रूप से निकाली गई। यह पालिकी नगर का भ्रमण करके मंदिर में विराजमान हुई। इस अवसर सभी लोगो ने धर्मलाभ लिया व आत्मकल्याण का संकल्प लिया, दुखियों की सेवा करने की प्रतिज्ञा ली। इसके साथ ही नित्य अभिषेक,पूजा, करने की भावना प्रकट की।
Your email address will not be published. Required fields are marked *