पीए. ओझा,
भिलाईनगर.23/11/19- भिलाई में 30 करोड़ की सरकारी जमीन के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। लेकिन हैरानी है कि, करोड़ों के जमीन फर्जीवाड़े के दोषियों की पहचान के लिए तहसीलदार द्वारा गठित की गई जांच की टीम को दी गई 2 डेडलाइन के बावजूद वह शून्य पर खड़ी है। इस जांच टीम में 2 राजस्व निरीक्षक और सीनियर पटवारियों को शामिल किया गया है।
क्या है पूरा मामला ?
एमपी क्रिश्चन इंजीनियरिंग कॉलेज, कैलाश नगर कुरूद से लगी हुई इन सरकारी जमीनों का खसरा क्रमांक 1570/8, 1570/ 9 ,1570/10 रकबा क्रमांक 0.28, 0 .600,0220 है, इसके सामने 120 फीट चौड़ा सरकारी रोड रास्ता जिसका की खसरा क्रमांक 1571 है , लेकिन भू माफियाओं ने उक्त सरकारी जमीन यानि रोड रास्ते को फर्जी कागजात बनाकर बेच दिया है।
राष्ट्रबोध की टीम ने जाकर मौक पर जाकर की मामले की पड़ताल!
मौके पर जाकर Rashtrabodh.com ने पड़ताल की तो पाया कि, इस फर्जीवाड़े के कारण 120 फीट चौड़ी, एक किलोमीटर तक की सड़क पर अनेक मकान तन गए है तो कहीं मात्र 20 फीट सड़क बची है। क्रिश्चन इंजीनियरिंग कॉलेज वालों ने तो रास्ता बीच से बंद कर दिया है, जबकि सरकारी अभिलेखों में वहां 2.290 हेक्टेयर रास्ता दर्ज है। जिसका बाजार मूल्य तक़रीबन 30 करोड़ रुपये है। इस तरह से उक्त रास्ते की भूमि का लगभग आधा हिस्सा कई प्रभावशाली उच्च पहुंच वाले भूमाफिया जमीन दलालों ने प्लाटिंग कर बेच डाला है।
ऐसे हुआ जमीन कब्जा करने का गोरखधंधा !
दरअसल यह पूरा खेल रोड की जमीन पर पहले अवैध कब्जा किया गया फिर पटवारी खाते की रोड वाले जमीन को रोड रास्ते वाले जमीन पर दिखा दिया गया ।यानि पटवारी रिकॉर्ड में दर्ज कहीं और की जमीन को रोड रास्ते की खाली जमीन बिठाकर बेचा गया। इस गोरखधंधे में सक्रीय भू-माफिया गैंग का संबंध भिलाई के एक बड़े राजनेता से था । जिनकी शह पर सरकारी जमीने लगातार बिकती रही और शासन में बैठे नुमाइंदे आंख मूंदकर सोते रहे।
जागरूक जनता ने किया भंडाफोड़ !
शिकायतकर्ता शशिभूषण शर्मा, गणेश केशरवानी, राजेश कोचर द्वारा अनेक बार जनदर्शन के माध्यम से भू माफियाओं के विरुद्ध शिकायत की गई। लेकिन आज दिनांक तक कोई ठोस कार्यवाही ना होने की वजह से इन भू माफियाओं का हौसला बढ़ता गया। लेकिन शिकायत पर तहसीलदार भिलाई एवं पटवारी हल्का नंबर 19 कुरूद ने अपने प्रतिवेदन में अपनी जांच में यह पाया कि उक्त जमीन 1571 के सरकारी अभिलेख में 120 फीट का रास्ता दर्ज है परंतु मौके पर उक्त जमीन पर कई लोगों द्वारा अवैध कब्जा भी पाया गया। 9 मार्च 2015 को अतिरिक्त तहसीलदार भिलाई द्वारा आदेश दिया गया था कि राजस्व निरीक्षण दूर एक तथा चार अन्य पटवार्य को मिलाकर उक्त भूमि 1571 की पूर्ण एवं विधिवत सीमांकन कराया जाए जिससे स्पष्ट हो सके कि सरकार को कितनी भूमि की हानि हुई है सरकार की करोड़ों का चूना लगाया है। लेकिन हमेशा की तरह इस आदेश पर भी कोई कर्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी। अतः सरकार में आसीन अफसरों को चाहिए कि इस मामले की तह तक जाकर परिपूर्ण तरीके से जांच के आदेश जारी करे।
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